________________ धर्म / त्वं हि तस्य मया दत्ता / विवाहश्चात्र वत्सरे // भविष्यत्यंतरा कर्म ! यदि ते नो विवाधकं // 1 // | प्रेषितः पुरुषस्तेन / लेखहस्तो. महारथः // बंगाजनपदे गत्वा / पुरे विजयवर्धने // 7 // रत्नशे खरबूपाय / गत्वा लेखमथार्पयत् // जाणतोऽनेन नूपोऽसौ / विनम्य विधिपूर्वकं // 23 // हेमचं. 4] द्रनरेंद्रस्य / सुता मदनमंजरी // रत्नचंडाय सा दत्ता / युष्मभ्यं यदि रोचते // ए४ // श्रुत्वेदं स. विषादोऽसौ / तस्मै प्रत्युत्तरं ददौ // अश्वारूढश्व पुत्रो मे / नीतः केनापि वैरिणा // 55 // श्रा: श्वीयं पृष्टतो लमं / पादातं च समुन्तं // तदद्यापि च नायाति / सखेदा वयमास्महे / / 76 // प्र. तिलेख समादाय / गब त्वं निजमंदिरे // सति धार्मणि चिंत्यंते / धर्माः किं कथ्यतेऽधुना // 7 // एतत् श्रुत्वा समायातः / स्वस्थाने लेखवाहकः // मुखेन कथितं किंचि-लेखोऽपि च समर्पितः // li Qu- // अहो संसारवैचित्र्य-मुजयत्राप्यनिर्वृतिः // हेमचंद्रो विचिंत्यैवं / मनसा मौनमाश्रितः | || श्यामाकारा कुरूपा च / जाता मदनमंजरी // किमेतदिति सोदेगा। संपन्ना हेमसुंदरी // 100 // कदाचन कृशा स्थूला / गौरी तन्वी कदाचन // नानारूपधरा दृष्टा / सिध्योगेव यो गिनी // 1 // विस्मिता जननी तस्या / जनकोऽपि च विस्मितः // एकांते जाणिता तान्यां / किं P.P.AC.Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust