________________ धर्मः | ब्याणमुपस्थितं // 27 // यस्मादमृतवृष्ट्यामं / संजातं तव दर्शनं // नूनमरण्यवासोऽपि / स्वर्गाः वासंसमोऽजनि // 27 // तन्नाथालं विलंबेन / शीध्र परिणयस्व नौ // यावन्नायाति मूढात्मा / पापोऽसौ खेचरोऽधमः // 60 / / कुमारोऽपि हि ते कन्ये / संक्षेपात्परिणीतवान् // ततस्तिष्टति सा. नंद-स्तत्र यावदाणांतरं // 61 // तावद्भानुप्रभो वेगा-दाजगाम तदंतिकं // विलोक्य कुमरं तत्र / कोपाविष्टोऽब्रवीदिदं // 6 // रे रे शस्त्रं गृहाण त्वं / यद्यस्ति तव पौरुषं // एषोऽहं मारयामि त्वां / रटतं विस्वरैः स्वरैः // 63 // एवमाक्रोशयन्नुचै-रागतः कुमरांतिकं // मुक्तः खऊप्रहारश्च / कुमारस्य यथावलं // 64 // कुमारेणापि वंचित्वा / खाघातं तकं जवात् / / प्रदतः खा. मादाय / स दुष्टः खेचरोऽधमः // 65 // प्रापितः पंचतामाशु / रंजितं जार्ययोर्मनः // ततो नार्ये गृहीत्वासौ / ततः स्थानाहिनिर्गतः / / 66 // स्तोकांतरं गतो याव-त्तावदन्तं गतो रविः // गूढहारां गृहाकारां / दृष्ट्वासौ वंशजालिकां // 67 // प्रिये प्रविशयामास / तत्र सानंदमानसः // स्वयं तु खममादाय / बारदेशे व्यवस्थितः // 6 // // गता रात्रिः क्रमेणाथ | यावदालोकते प्रिये // ता. | वत्ते वीदते नैव / तस्मिन वंशकुमंगके // 67 // ततोऽसौ चिंतयामास / विस्मयाकुलमोनसः / / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust