________________ . धर्मः // // जय वं त्रिजगन्नेत्र / जय त्वं जगदर्चित // जय त्वं त्रिजगन्नाथ / जय त्वं नानिनंदन | // 25 // नमस्ते केवलालोक-लोकालोकविलोकिने // नमस्ते नुवनादित्य / नव्यांजोजविका सिने // 30 // नमस्ते सर्वतः सर्प-मोहध्वांतविनाशिने // नमस्ते विश्वविख्यात-सर्वनीतिप्रकाशिने // 31 // नमस्ते सर्वकल्याण-कारिणे क्लेशवारिणे // नमस्ते जक्तिमलोक-नवसंतापहारिणे // 32 // रागो द्वेषश्च मोहश्च / त्रयोऽपि प्रहतास्त्वया // अहं त्वेजिः सदाकालं / प्रहन्ये संततं प्रनो // 33 // हन्यमानश्च देवेश / त्वां शरण्यमुपाश्रितः // ततस्तेन्यो नयोजांतं / रद रद मुनीश मां // 34 // चत्वारोऽपि त्वयात्यर्थ / कषायारातयो हताः॥ अहं पुनरिमैः पापैः / प्र. भो पीडये निरंतरं / / 35 // तदिवं मामिमानुच्चै-ध्यिमानान्महाप्रनो / अचिंत्यशक्तिसंयुक्त / / नाथ वारय वारय // 36 / / कर्माष्टकं त्वयात्यंतं / प्रलयं प्रापि लोलया // नाथेऽपि त्वयि बंकोऽह -मष्टनिरपि कर्मभिः // 37 // तदिदं बच्मालोक्य / वघानां प्रविमोचक // निःकर्मन् सर्वकर्मे न्यो / मां विमोचय मोचय / / 30 // लीलयापि त्वया तीर्णो / विस्तीर्णोऽपि महार्णवः // अहं तु तत्र मज्जामि / कर्मसंजारनारितः // 35 // प्रसीद सांप्रतं स्वामिन् / मतं मां जवार्णवे // सः | PP.AC.Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust