________________ धर्मः // 17 // जगत्पूज्यो जगज्ज्येष्टो / देवदेवो जगतिः // तदहें पूजयाम्येनं / सत्पुष्पैनक्तियोगतः | // 10 // विचिंत्यैवं सुगंधानि / गृहीत्वा कुसुमानि सः॥ जया युगादितीर्थेशं / सप्रमोदमपूपु. जत // 19 // ततः प्रणम्य निःक्रांतो / राजपुत्रो जिनालयात् // बहिर्ममपमागत्य / वेदिकायां निषणवान् // 20 // सानंदो जिनर्विवास्य-न्यस्तदृष्टिरचिंतयत् / / धन्योऽहं पुण्यवानद्य / कृतार्थः कृतरक्षणः // 21 // येन देवाधिदेवोऽयं / मया दृष्टो महापनुः // पूज्योऽयं सर्वदेवानां / ध्येयोऽयं सर्वयोगिनां // 22 // वंद्योऽयं सर्वसाधूनां / त्रातायं सर्वदेहिनां // हितोऽयं सर्वजीवानां / दांतायं सर्वसंपदां // 23 // इत्याद्यनेकधा हृष्टो / यावदास्ते स चिंतयन् // तावदेकः समायातो। वृक्षस्तत्र ननश्चरः // 24 // ततो वापीजलेनाशु / शुचिर्भूत्वा सितांशुकः // गृहीत्वा शतपत्रादि / सुगं. धकुसुमोत्करं // 25 // प्रविश्य जिनवेश्मांतः / पूजयित्वा जिनेश्वरं / विधाय विधिवद्भक्त्या / वि. शुछ चैत्यवंदनं // 26 // दधानः सर्वतो देहे / प्रकटं पुलकोत्करं // ततोऽसौ स्तोतुमारब्धः। सं. वेगातिशयं वदन // 7 // तद्यथा"जय वं जगदानंद | जय वं जगदीश्वर / / जय वं त्रिजगढ़धो। जय त्वं विजगत्प्रनो / / P.P.Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak rust