________________ धर्मः | के मध्ये / पार्श्वतः पृष्टतोऽपि च // सर्वतो नागरो लोको / धर्मागारमुपाश्रितः // 4 // शून्यं पा. | पगृहं सर्व / न कोऽपि क्वापि दृश्यते // खरांशुर्मस्तके रूढ-स्तीव्रतेजाः सुदुस्सहः // 4 // नरें. | इंश्च समासन्नः / प्रधानपरिवारितः // जनं च जनजल्पं च / पश्यति च शृणोति च // 4 // अ पए| लांतरे च पापीयः-प्रासादे कालिमालये // दावेव पुरुषो राज्ञा / विशताववलोकितौ // 20 // विस्मयापनचित्तेन / श्रनयोऽध्याणि चुभृता // कावेतौ पुरुषो नद्र / पापप्रासादमागतौ // 11 // तेनोचे श्रावकावेतौ / प्रियंकरशुनंकरौ / / कारणं तत्र तद्याने / समाकार्य विचार्यतां // 22 // त तो राज्ञा प्रतीहार-मुखेनाकारितावुभौ // आगत्य प्रणतौ राज्ञे / निषमावुचितासने // 53 // राज्ञा पृष्टौ यथा जैन-शासने श्रावको युवां / देवश्च युवयोः श्रीमान् / समग्रैश्वर्यसंयुतः ॥श्या | सर्वज्ञः सर्वदर्शी च / सर्वदेवनमस्कृतः / / गुरवः साधवश्चैव / प्राप्यंते नाटपपुण्यकैः // 15 // स. | दिवेकः श्रिया सार्ध / विनयो विद्यया सह // आत्मगुणैरनुत्सेको / युष्मास्वेव विलोक्यते // 16 // नो नौं शेषलोकेन्यो / गुणित्वं वां समर्गलं // ततः केन निमित्तेन / पापप्रासादमाश्रितौ // // 27 // तावूचतुर्महाराज / यन्न तुष्टिर्निजैर्गुणैः // क्रियाकांडमपि स्वीयंः / न तच्चेतसि वर्तते / / Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.