________________ धर्मः | ता // 36 // अन्यायार्जितवित्तेन / तया यदस्य मंदिरं // कारितं तेन यदोऽपि / तन्नामा चुवि विश्रुतः // 37 / / कुलटायद श्येषा / ख्यातिर्यदस्य नँगते // किं कुर्वति विगुप्यते / देवा अपि कुसंगतः // 30 // प्रतीहारेण सा रुघा / प्रोक्ता च धर्ममंदिरे // प्रवेशे कोऽधिकारस्ते / सावोत्र दिदमंजसा // 35 // अहं धर्मवतां सीमा / यया यदस्य मंदिरं // कारितं निजवितेन / त्वमा श्व लक्ष्यसे // 40 // ततो मदनमंजूषा-नाम्नी वरविलासिनी // प्रतीहारनिरुज्ञासा-विदं वचः नमब्रवीत् // 41 // धर्मसौधे प्रविशंत्या / निषेधः क्रियते कथं // खटपादारैः प्रतीहार-स्तामवो. चहिलासिनी // 42 // स्वकर्म किं न जानामि / पापे पापगृहोचितं // प्रतीहारप्रबोधाय / जगा. देदं विलासिनी // 3 // त्रीन वारान प्रतिमाते / कामसत्रं ददाम्यहं // द्विजादिदुःस्थलोकानां / सुस्थत्वे किं न मे शुन्नं // 4 // एवमन्येऽपि सर्वेऽपि / मत्स्यबंध्यादयो नराः // श्रात्मानं धा. मिकंमन्या / धर्मसौधमुपागताः // 45 // प्रतीहारोऽचिंतयत-सर्वस्यात्मा गुणवान् / सर्वः परदोषदर्शने कुशलः / सर्वस्य चास्ति वाच्यं / न चात्मदोषान् वदति कश्चित् / / 46 // सत्यापितः प्रवादोऽयं / जने नैवं प्रजटपता // जगदात्मनि संतुष्टं / सर्वः खं चारु मन्यते // 4 // बहिष्टान्मस्तः / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust