________________ 45 धर्मः | च // // पुरं राजगृहं तत्र / निवासः सर्वसंपदा / विशालेनोचशालेन / परितः परिवेष्टितं // 3 // / | तत्रासीत् श्रेणिको राजा / स्वगुणै रंजितप्रजः // जांडागारादिसंपूर्णः / सुप्रतापी परंदमः // 4 // गृहीतहृदया तस्य / चेल्लणा नाम गेहिनी // रोहिणीव शशांकस्य / विलसत्तारतारिका // 5 // तथागयाचिधानश्च / मंत्रिपुत्रश्च सशुणः // बुद्ध्या सर्वातिशायिन्या / त्रिदशाचार्यसन्निभः // 6 // अथान्यदा समारूढः / प्रासादे मेदिनीपतिः // परितः प्रेषयामास / दृष्टिं दृष्टव्यदर्शनः // 7 // य. त्र यत्र प्रयात्यस्य / दृष्टिदर्शनलोबुपा // पश्यति तत्र तत्रापि / लदशः कोटिशो जनान् // 7 // ततः सकौतुको राजा। प्रासादादवतीर्य सः // सर्वतः पुरमालोक्य | सनामंझपमागतः // 7 // सामंतमंत्रिणः सर्वे / समायाताश्च तत्दणं // संनिषणा निजे स्थाने | तान् सन्मान्य ततो नृपः॥ // 10 // लोकविस्मयकारीद-मकालजलदोपमं // प्रोवाचि च नरेंण / मंत्रिणो मिलितान प्र. ति // 11 // एतस्मिन्नगरे लोका / बहवो ये वसंति नः॥ किं पापा धार्मिका वेति / ममेदं क थ्यतां छुतं // 15 // श्रुत्वेदं मंत्रिणो बुट्या / पर्यालोच्य परस्परं // प्रोचुश्च बहवः पापा / वसंत्यत्र | पुरे प्रत्तो / / 13 / धार्मिका गणिताः केचि-तांशादपि दुर्लनाः // कुकर्मकारिणां पुंसां / पर्य P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust