________________ धर्मः | व्यं न कर्कशं // 22 // एवं च जायते कीर्ति-यशः सर्वत्र जूंनते // लन्यते प्रथमा रेखा / सः / त्पुरुषविचारणे // 23 // कियत्ते कथ्यते वत्स. / संक्षेपात् शृणु सांप्रतं // दोषा हेया गुणा ग्राह्याः / कर्तव्या निर्मला दया // 24 // एवं श्रेष्टी समाश्वास्य / धनचं मुदं दधौ // गुणिन्यपि गुणा४२ धानं / गुणायैवोपजायते // 25 // गृहस्य खामिनं कृत्वा / दत्वा परिजनं निजं / / स्वयं श्रेष्टी स. मारब्धो / धर्म कर्तुमनाकुलः / / 26 // दृष्टांतोऽयं समाख्यातो / दार्टीतिक श्होच्यते // संसारिकास्त्रयः सत्वा / मानुषी योनिमागताः // 27 // तत्रैको लब्धसम्यक्त्वः / सत्यशौचसमन्वितः // ल. ब्धलागवणिक्तुत्यो / मृत्वा देवेषु जायते // 2 // परस्तनुकषायत्वा-दानदातृत्वयोगतः / / .मू. लाहाखिणिक्तुब्यो। मृत्वा नवति मानवः // 25 // तृतीयस्तु महापापो / धर्मकर्मबहिर्मुखः // जीवघाती मृषावादी / चौर्यचातुर्यसंगतः // 30 // परनार्यारतः पापो / महारनपरिग्रहः // समूल. हारिणा तुल्यो / नरकं याति दारुणं // 31 // मानुषत्वं नवेन्मूलं / लाजो देवगतिर्नवेत् // मूल. नाशेन जीवानां / नारकतिर्यग्योनिता // 32 // लब्धलानसमै व्यं / सर्वया नव्यजंतुन्निः // मू. | लाहारिसमैर्वापि / न तुत्यैर्मूलहारिणा // 33 // तदहो दुर्लनं प्राप्यः / मानुष्यं नवकोटिनिः॥ यः P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust