________________ 40 धर्मः / कुबुद्ध्या नाशितो ज्येष्टो / गृहे कर्मकरः कृतः // सुबुझियोगतो जातो / धनचंडो गृहाधिपः // 3 // कुबुधिदानतः क्रुधः / कुमित्रपरिवारितः // विधिरेष उपायेन / पुंसो हरति संपदं // 4 // सुबु. घिदानतस्तुष्टः / सुमित्रपरिवारितः // विधिरेष जपायेन / नरस्य कुरुते श्रियं // 5 // नास्त्यसाध्यं सुचीर्णानां / पुरा जन्मनि कर्मणां // धनचंडेण येनात्मा / लघुनापि गुरुकृतः // 6 // जक्तं च-लहुएणवि वमबीयं-कुरेण साहिसयाण मनंमि // तह संतविज अप्पा / जह सेसतरू त. ले तस्स // // वीचिव्याप्तवियहितानवसुधं वागाधरंध्र पयो / गोलांगूलसलीलपाणिकलिताः दु. द्राः क ते दमाभृतः / / बध्वा दाशरथिस्तथापि जलधिं प्रत्याजहार प्रियां। ग्रावाणोऽपि तरंति वा. रिणि यदा पुंसोऽनुकूलो विधिः // 7 // ततस्तं शिदयामास / श्रेष्टी स्नेहपरायणः // वत्सावहितचित्तेन / श्रोतव्यं मामकं वचः // 5 // एष धारो महानारो। वहः किन्नरैनरैः // तदयं पुत्र वोढव्यो / गतालस्येन सर्वदा // 10 // यथा न तरलायंते / दुर्जना दुःखदायिनः // श्यामायते यथा नैते / सऊनाः सुखकारिणः // 11 // सर्वदैव सलओन / खोपयोगेन सर्वदा / / व्यसन व्य सनं कृत्वा / कर्तव्यं सुगुणार्जनं // 12 // देवानां च गुरूणां च / कार्या जक्तिरकृत्रिमा // सर्वत्रो. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasun M.S.