________________ धर्मः | स्य स्वल्पदिनैरपि // 60 // संपूर्णावधयः सर्वे / चलिताः स्वगृहोन्मुखाः // सुखं सुखेन संप्राप्ता / / ग्रामे ते गुणसुंदरे // 61 / / कनिष्टेन पुमानेको / वार्ताकथन हेतवे // प्रेषितः श्रेष्टिनस्तेन / सर्वा | वार्ता निवेदिता // 6 // नणिता श्रेष्टिना नद्रा / सुनडे तव नंदनाः // तिष्टंति मिलिताः सर्वे / ग्रामे ते गुणसुंदरे // 63 // गमने यो विधिस्तेषा-मागमेऽपि स एव हि // क्रियतां येन लो. कस्य / प्रतीतिर्जायते प्रिये // 64 // तथैव विहितं सर्व / लोके मंडपमाश्रिते // ग्रामादानायिता पुत्राः / समासन्नाश्च धारिताः // 61 // पूर्व प्रवेशितो ज्येष्टो / मृत्यैर्वामकरैर्धतः // लमानधोमुखः दीपः / स्खलत्पादः पदे पदे // 66 // पापः प्रकटकोपीनः / कृतकबोटकः कटौ // सर्वलोककृपास्थानं / दुर्बलोऽतिमलाविलः // 67 // भृत्यदयेन लाबु-धृत्वा वामेतरे करे // मुक्तोऽग्रेस समानीय / श्रेष्टिनः श्रेष्टकर्मणः // 67 / जणितः श्रेष्टिना वत्स / पादं पूजय मामकं // दक्षिणं मूखनीव्या त्वं / लब्धलानेन वामकं / / 65 // ग्रहैखि गृहीतोऽसौ / मंत्रैखि जमोकृतः॥ निरुकवचनः शुन्यो / जणितोऽपि न नाषते // 70 // श्राकारसंवरं कृत्वा / पृष्टं शपथपूर्वकं // वत्स सत्यं / प्रवक्तव्यं / तत्र गत्वा पुरे त्वया // 1 // P.P.AC.Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak Trust