________________ धर्मः | हि॥ रमणीहिं मणमोहिणीहिं / पुरिस वसी होइ न जावहि // 36 // सो सुकयकम्मु सो नि. का नणम। सिवहमग्गि सो संघमिज / परमोहण सहिसरिसिय / महिलाण पेम्मंमि नो पडिजे | // 37 // तस्मादलं सुवर्णेन / विषयैरप्यलं मम // कृतं कांताप्रसंगेन / घोरसंसारहेतुना // 30 // 355 | एवं चिंतयतस्तस्य / जातिस्मरणमंजसा / / संपन्नं शुधजावस्य / स्वयंबुधस्ततोऽजनि // 35 // दे वंतादत्तलिंगोऽयं / स्वयं बुंचितकुंतलः / प्रत्यदो धर्म एवैष / राजानं समुपस्थितः // 40 // रा. झोचे किं त्वयाचिंति / ततः सोऽपि न्यवेदयत // आत्मेगविस्तरं सर्व / नरेंद्राय पन्निदं // 1 // नक्तं च-जहा लाहो तहा लोहो / लाहालोहो पवह // दोमासकणयकङ / कोडिएवि न नियिं // 42 // ददामि जद्र ते कोटिं / राझोचे चारुचेतसा // मुनिनोक्तं मया सर्व / परित्यक्तं धनादिकं // 3 // यतः-अर्थानामजने सुःख–मर्जितानां च रदणे // आये दुःख व्यये दुःख / धिगर्थ दुःखकारणं // 44 // इत्यादिधर्ममाख्याय / कपिलाख्यो महामुनिः // विजहार महीपीठे / संयमी मुनिसत्तमः // 4 // नर्ममो निरहंकारो / निरारंनो निरालयः // निःसहायो निराशंसो / / निःसंगो निःपरिग्रहः / / 4 / / युक्तः समितिनिर्नित्यं / सुगुप्तो गुप्तिनिस्तथा // दांत्यादिसजणो P.P. Ac. Gunratnasuri MS. Jun Gun Aaradhak Trust