________________ धर्म // मूलम् ॥-कुटुंबककृते चाव-नितश्वेतश्च संततं // किं कृतं किं करिष्यामि / किं करो. मामीति चिंतयन् // 1 // छिद्यते प्रत्यहं प्राणी। बह्वाशापाशपाशितः // वांगविनेदजं सौख्यं / स्व. प्रेऽप्येष न विंदति // 2 // व्याख्या-कुटुंबककृते गृहनिमित्तं धावन पर्यटन्नितश्वेतश्च यतस्ततः सं. ततमनवरतं, किं कृतमित्यतीतकाले, किं करिष्यामीति वर्तमाने च चिंतयन् वितर्कयन् , // 1 // खिद्यते क्लिश्यते प्रत्यहमनुदिनं जंतुः प्राणी बह्वाशापाशपाशितः प्रवृतमनोरथबंधनबछो वांगविले. दजमिहाविनिवृत्तिनं सौख्यं शर्म स्वप्नेऽपि सुप्तजागरावस्थायामप्येष प्राणी न विंदति न लजते. // // // अत्रैवार्थे दृष्टांतध्यमाह - // मूलम् ।।-असंतोषो हि दोषाय / संतोषः सुखहेतवे // कपिलो झातमत्रार्थे। पिंगला च पणांगना // 1 // व्याख्या असंतोषोऽपरापरवस्तुसस्पृहता दोषाय दृषणहेतवे, संतोषो निरीहता सुखहेतवे शर्मनिमित्त, कपिलः पुरोहितपुत्रो ज्ञातं निदर्शनमत्रार्थे संतोषसुखविषये, पिंगला च पिंगलानिधाना च पणांगना, पणो मूल्यं तत्प्रधानांगना पणांगना मूल्यनोग्या वेश्येत्यर्थः // 1 // झाते च यथाक्रममिमे-चव नगरी रम्या / रम्यारामविराजिता // कौशांबी नाम विख्याता / व. PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust