________________ ... धर्मः पतिः प्राह याचस्व / यद्भवतः प्रतिजासते // स प्राह दीयतां तर्हि / राज्यं राजेंद्र में निजं // 20 // / टीका ततश्च नरचंडेण | जुजोदारचेतसा // तृणाय मन्यमानेन / तस्मै राज्यमदीयत // 21 // यतः कियती पंचसहस्री / कियती लदा च कोटिरपि कियती // अनुकंपामयमनसां / सा रत्नवती वसु. 340 मती कियती // 15 // किमत्र चित्रं यत्संतः / परानुग्रहकारिणः // न हि स्वदेहशांत्यर्थ / जायंते चंदनहुमाः // 13 // ततो राजा विनिष्कांतः / पुरात्वमसहायकः // जगाम बहिरद्याने / सानंदो दैन्यवर्जितः // 24 // तत्रैवं चिंतयामास / विशालोदारचेतसा // परोपकारतानिष्टो / महेबः स्वब मानसः // 25 // तद्यथा-पातालान विमोचितो बत बलिमृत्युर्न नीतो दयं / / नो मृष्टं शशलांब नस्य मलिनं नोन्मूलिता व्याधयः // शेषस्यापि धरां विधृत्य न कृतो नारापहारः कणं चेतः स पुरुषाभिमानकयुषं मिथ्यैव किं खिद्यसे // 26 // यावदेवं नराधीशः / संतिष्टति विचिंतयन् // तावबशकव्याधस्य / रूपयं विकुर्य सः // 27 // देवो द्वितीयकस्तूर्ण / समायातो नृपांतिकं // तत्रासौ शशकः शीघं / राज्ञः पादांतमाश्रितः // 20 // राजन् मां रद रक्षेति / नदयमाणो नयातुरः // त्वमेवात्र मम त्राण-मत्राणत्राणकारकः // 25 // Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.