________________ धर्मः | ततः प्रबादितः स्वीय-वस्त्रे तेन स भूलुजा // पायातस्तदनु व्याधो / वित्राणः सशरं धनुः // | // 30 // नृपस्य पुरतो नृत्वा / बजाणैवं स्फुटादरैः // शशकोऽयं महाराज / लब्धोऽत्यंतक्षुधाबुना "" // 31 // तदर्पयस्व येनैनं / नदयामि बुभुक्षितः // राजाह किं तवानेन / याचस्व द्रव्यमीप्सितं / / | // 35 // अव्येण लप्स्यसे मांस-मन्यदा वस्तु वांछितं // व्याधः प्रोवाच मे राज-नने नैव प्र. योजनं / / 33 // राजाह, मे वराकोऽयं / शशकः शरणागतः // तदेनं नार्पयाम्येव / किंचिदन्यत्मयाच्यतां // 34 // यद्येवं दीयतां ताव-स्वमांसं क्षुधिताय मे // तोट्यते शशको याव-द्यदि चेतसि ते कृपा // 35 // राझोक्तं गृह्यतां मांसं / शशको मुच्यतामयं // एवमुक्त्वा सहर्षेण / ना. राची प्रगुणीकृतः / / 36 // ततः शशकमेकत्र / तत्रारोप्य नरेश्वरः / / जत्कृत्योत्कृत्य जंघातो / मांसं चिक्षेप सोऽन्यतः / / 37 // यथा यथा दिपत्येष / स्वमांसं तत्र भूपतिः // तथा तथा महानारः / शशको वर्धतेतरां // 30 // एवं तत्र निजं मांस / दिपन राजा मुहुर्मुहुः // संजातो मरणावस्थो / मूर्बया पतितः दितौ // ३ए / तथापि तेन नो मुक्तं / निज सत्वं मनागपि // महासत्वेन वी| रेण / परोपकृतिचंचुना // 40 // ततो विज्ञाय तौ देवौ / राइश्चित्तं सुनिश्चलं // प्रकटीय ना.। Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.