________________ धर्म म / मानिनो मानखमनं // 73 // सह्यतां माननंगो हि / साधुनिर्मोदकांदिनिः॥ मानिनिः सः / का ह्यते नैव / तघ्ना एव येन ते // 14 // सह्यते माननंगो हि। निर्विज्ञान पुंसकैः // जन्म. मिसमासक्तै-मंडलैखि मानवैः // 55 // इत्यादि चिंतयित्वाथ / खपाणिनिरुत्सुकः // रजन्यां निर्ययौ धीर / एकाकी सुविचक्षणः // 76 // कथानकविशेषेण / पुरे पारेतकान्निधे // सायं सं. प्राप तत्रापि / सुप्तोऽसौः देवमंदिरे // 7 // अथ निद्राविरामेऽसा-वासने गिरिगह्वरे // वहिमालोकयामास / ज्वलंतं मनुजोत्तमः // 70 // किंकारणो नवेदमिः / कौतुकादिप्तमानसः॥ समु. बाय ततो धीरो / ज्वलनाभिमुखं ययौ // // अपश्यदामतस्तत्र / धातुर्वादिजनान बहून् / ताम्रयोगसमायुक्तान् / चरि वित्ताभिलाषिणः // 70 // आशीर्वादं ददौ तेन्यः / सिघिरस्तु समीहिते // स्वागतं तेऽपि जटपंतः / कुमारानिमुखं गताः // 1 // तश्व पुण्ययोगेन / सिहं स्वर्णमनुत्तरं // अहो पुण्यवतां योगः / सर्वकल्याणकारणं // 2 // लात्वा स्वर्ण ततः प्रोचु-स्ते तुष्टाः कुमरंप्रति // गृहाणेदं महानाग / स्वपुण्यैः समुपार्जितं // 3 // यतः-एवंविधा समस्तापि / सामग्री हेमसाधिका // संजाता न पुनर्जातं / जातरूपं त्वया विना // 4 // ततोऽवोचत्कुमारस्तान् / ख P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust