________________ 335 धर्मः // 6 // ततो गत्वा वरोद्याने / पुष्पसुंदरनामनि // कुमारः सह लोकेन / प्रमोदनरनिर्भरः // / का // 63 // दीनानाथादिलोकेभ्यो / याचकादिजनाय च // वांगतीतं ददद्व्यं / संक्रीमति यथे वया // 64 // युग्मं // एवमर्थव्ययं वीदय / नांडागारनियुक्तकः // राजे निवेदयामास / सर्वे पु: | त्रविजूंनितं // 65 // ददाति ते महाराज / पुत्रो दानमनर्गलं // सहस्रलदाकोटीनिर्दीनादिभ्यः कुबेरवत् // 66 // कतिचिदासरानेष / यद्येवं देव दास्यते / तदा नूनं महाराज / रिक्तः को शो नविष्यति // 6 // . श्रुत्वेदं वचनं राजा / कोशदयनिवेदकं / दूनितो मानसे बाढं / कुमारंप्रति रंहसा // 6 // बाहय निष्टुरैर्वाक्य-रुपालब्धकुमारकं / / मूढबुधिन जानासि / धनानामर्जने श्रमं / / 65 // युग्मं // किं दुर्गो हस्तिनो देशो / वाजिनों वातिसुंदराः // श्यहित्तव्ययासिहं / यत्ते तन्मे नि: वेदय // 70 // कुमारोऽपि समाकर्ण्य / सोपालंनं वचः पितुः / समुबाय समायातो। मुखितो निजमंदिरं // 31 // तत्रापि शयने सुप्तो / रातो चिंतितवानसौ // मानभंगे हि यदुःखं / तन्मृ. योरतिरिच्यते // 32 // यतः-मरणे स्यात्दणं मुःख–माजन्मं मानखंडने // विषहंते कथं ना. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.GunratnasuriM.S.