________________ ___ धर्मः / यतोऽभ्यधायि-अयं निजः परो वेति / गणना लघुचेतसां // उदारचरितानां तु / वसुधैव कुटुं - बकं // 17 // आनंदविंदुसंदोह-दायी कामिजनप्रियः // अवतीर्णस्तदा रम्यो / वसंतसमयो ज. ने // 15 // धरति मंजरीवृंदं / सहकारा मनोहरं // पुष्पिताः किंशुका यत्र / रक्ता श्व समंततः // 20 // अशोकः पल्लवोझासी। कलकंठरवाकुलः // सकामकामिनीपाद-पातसंजातसंमदः / / // 21 // किंबहुना समस्तापि / वनराजी विराजिता // वसंतसमये जाते / रम्यया कुसुमश्रिया / // 22 // नत्फुल्लफुलकिंजल्क-पानसंजातसंमदाः // अलयस्तत्र गुंजंति / मंडं श्रुतिसुखावहं / / // 3 // निर्गति महानत्या। चचर्यः सुमनोहराः॥ यांदोलिका विधीयते / शाखिशाखासु सुंदराः // 24 // गायनाः कापि गायति / रम्यमानंदपूरिताः॥ पिबंति कापि मद्यानि / जना ह. र्षाकुला भृशं // 25 // कामुकाः क्वापि कांताभिः / समं जल्पंति नर्मणा // कापि देहस्य श्रृंगारं। कुर्वति वसनादिनिः // 26 // नैव लोके जनः कोऽपि / विद्यते यो न गंजितः // सरागकामदे. वेन / वसंते तु विशेषतः // 27 // उद्दामकाममत्तेन–कुननिर्नेदकेसरी // वसंतसमये नूनं / | निर्विकारो जिनेश्वरः // 20 // Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.