________________ टीका धर्मः | थशतैर्जाता-स्तयोः पुत्रास्त्रयः क्रमात् // धनयदो धनावासो / धनचंडः कनिष्टकः // 6 // कृता नि नामधेयानि / वर्धापनकपूर्वकं / प्रहृष्टश्च पिता चित्ते / माता माति न भूतले // 7 // पंचधात्रीगृहीताश्च / परिवारकृतादराः // सुखसुखेन वर्धते / नंदने पादपा यथा // // लालिताः पा. | लिताश्चैव / पाठिताः परिणायिताः // विकारबहुले याव-दारूढा नवयौवने // // भार्यायत्तत या ताव-न्मातृपितृपराङ्मुखाः॥ ये निजास्ते परे जाता / विग्धिम् यौवनचूँजितं // 10 // प. रस्परेण पितृणां / जायते चित्तखेदनं // कलहायोपतिष्टंते / श्वश्वा साधु वधूटिकाः // 11 // अ. न्येाः श्रेष्टिनाचिंति / नेदं गृहविवृधिकृत // यथा पृष्टा किलेंजेण / हे लदिम कोष्यते त्वया // // 12 // श्रुत्वा शक्रवचो लक्ष्मीः / किंचिदुत्फुल्ललोचना // जगादेदं सुराधीशं / हृष्टवक्रा स्फुटादार // 13 // श्रूयतां श्रूयतां स्वामिन् / कथ्यते कथ्यते तव // गुरखो यत्र पूज्यंते / धान्यं यत्र सुसं. चितं // 1 // न दंतकलहो यत्र / तत्र शक वसाम्यहं // कुटुंबकलहो नापि / तत्र वासो नवेन्म| म-॥ 14 // परिवेदो हि पांडित्यं / तदायत्ता हि सिध्यः॥ अपरिजिन्नतत्वानां / काचकिच्यं पदे / पदे // 15 // राज्यमंदिरगडानां / नारोऽयमतिर्वहः // अयोग्यस्थापितो नूनं / स्थाषणुतां न स- | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust