________________ धर्म कुलोचितं कर्म / कुर्वतोर्याति वासराः // अन्यदा जुवनानंदी / प्राप्तस्तत्र जिनेश्वरः // 14 // नः | टीका गवान श्रीमहावीर / ईदवाकुकुलनंदनः // वामी रैजनसंताप-शमनॅनोदसन्निनः // 15 // युग्मं // विदधुस्तस्य गीर्वाणा / व्याख्यामि मनोहरां // तत्रासौ धर्ममाचख्यो / सनरामरपर्षदि // 16 // .. 310 तमागतं समाकार्य / कौशांबीवासिनो जनाः॥ राजादयः समाजग्मु-वदितुं तत्पदांबुजं // 17 // तावपि श्रेष्टिसत्सूनू / कुतूहलपरायणौ // जनेन सार्थमायातौ / जिननायकसन्निधौ // 10 // जिनस्तु देशयामास / मोदमार्ग सनातनं // सत्वानां सर्वकल्याण-कारणं करुणापरः // 17 // त. तस्तयोर्वणिक्सूनो–रेकस्य तज्जिनोदितं // श्रठानमार्गमायाति / भाव्यते च स मानसे // 20 // स्फारादो मस्तकं धुन्वन् / कर्णपर्णपुटार्पितं // रोमांचितः पिबत्युच्चै–र्जिनवाक्यं यथाऽमृतं // 21|| | तदन्यस्य तदा जाति / वालुकाकवलोपमं // अन्योन्यस्य च तो जावं / लदयामासतुस्तरां ॥श्शा व्याख्याभुवः समुबाय / जग्मतुर्नवनं निजं // तत्रैको व्याजहारैवं / वातस्त्वं नावितः किल // 3 // जैनवाचा न चाहं जो-स्तदत्र किमु कारणं // एकचित्ततया ख्याता-वावां लोके श्यच्चिरं // / // 24 // युग्मं / इदानीमत्र संजातं / विजिन्नं चित्तमावयोः // तदत्र कारणं किं स्या-दन्यो व Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.GunratnasuriM.S.