________________ धर्मः पूरकडव्यवर्जितौ // तौ च चौर्य व्यधासिष्टां / जोगवांगविमंबितौ // 2 // दंम्पाशिकलोकेन / सं. / टीका | प्राप्तावन्यदा तकौ // नीयमानौ च तो तेन / वध्यस्थानं तपस्विनौ // 3 // दृष्टवंतौ मुनीन्मान्यान्मान्यमानवसंहतेः // साधूनां सस्त्रियां दृष्ट्वा / तयोरेको व्यचिंतयत् // 4 // अहो धन्यतमा एते / मुनयो विमल क्रियाः // स्वकीयगुणसंदोहा-ज्जगतां पूज्यतां गताः // 5 // वयं पुनरधन्यानामधन्या धनकांदया // विदधाना विरुधानि / वध्यतां प्रापिता जनैः // 6 // चौर्येणोपहतात्मानो। यास्यामः कां गतिं मृताः // ही जाता दुःस्वजावेन / लोकदयविरोधकाः / / 7 // तदेवं साधु सा. धूनां / वृत्तं वारितकल्मषं // विपरीतमतोऽस्माक-मस्मात्कल्याणकं कुतः // 7 // अन्यः पुनरुदासीनो / नवतिस्म मुनीनजि // गुणिरागादवापैको / बोधिबीजं न चापरः // // ततस्तनुकषाय खा-दानशीलतया च तौ // नरजन्मोचितं कर्म / लब्धवंतावनिंदितं // 10 // मृत्वा च तौ समुत्पन्नौ / कौशांब्यां पुरि वाणिजौ // जातौ चानिंदिताचारौ / वणिग्धर्मपरायणौ // 11 // जन्मांत रीयसंस्कारा-दाबालत्वात्तयोरजत् // अत्यंतमित्रतालावो / लोकाचर्य विधायकः // 12 // रोचतेच | यदेकस्य / तदन्यस्यापि रोचते // ततो लोके गतौ ख्याति-मेकचित्ताविमाविति // 13 // ततः Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.