________________ धर्म | महात्मभिः // पूजनीयो विशेषेण / सर्वजीवाभयंकरः // 27 // शिष्यः स्थिरीकृतो धर्म / ह्यजयेन / सुबुधिना // हसन्निवास्तिो लोकः / कलाकौशलशालिना // 20 // इति धर्मस्थिरीकरणेऽजयकु. मारदृष्टांतः // पूर्वजवान्यासादेव प्राणिनस्तहासवासिता जायंते, एतदेव दर्शयन्नाह // मूलम् ।।-तिलानां यादृशो वास—स्तैलस्यापि च तादृशः // एवंविधा च संगीता / जिनोधिर्भवांतरे // 1 // व्याख्या-तिलानां धान्यविशेषाणां यादृशो वासो वासना, तैलस्यापि तिलविकारस्यापि तादृश एव तत्प्रकार एव, दार्टीतिकमाह-एवंविधा चैतत्प्रकारा संगीता प्रतिपादिता जिनरहोिधिः प्रेत्यजिनधर्मावाप्तिनवांतरेऽग्रेतनजन्मनि. // 1 // अत्रैवार्थ दृष्टांतमाह // मूलम् ।।-चौरयुग्ममिह झातं / वासनाविषये मतं / एकस्य सुलगा बोधि-हितीयस्य च दुर्लजा // 1 // व्याख्या-चौरयुग्मं चौरद्वंदमिह प्रस्तुते झातमुदाहरणं वासनाविषये संस्कार गोचरे मतं संमतं, एकस्य गुणबहुमानिनः सुलजा सुप्रापा बोधिर्जिनधर्मप्राप्तिः, द्वितीयस्य गुणमसरिणो दुर्लना दुःप्रापा बोधिरिति वर्तते. // 1 // चौरयुग्मज्ञात वाह-हाभूतां नरौ कौचिदन्योन्यं दृढसौहृदौ / युवानौ साहसोपेतौ / स्वचौर्यबलगर्वितौ // 1 // जोगलब्धौ समस्तेला Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.