________________ धर्मः | स्तश्च विहरन ग्रामा-नुग्रामं शिष्यसंयुतः // धर्मधामा दयासारो / विश्रुतः श्रुतकेवली // 4 // / शिष्यः श्रीवीरनाथस्य / पंचमो गणनायकः // राजगृहे समायातः / परोपकृतिहेतवे // 5 // युग्मं / / अवग्रहमनुझाप्य / तस्थौ तत्र गणाधिपः // वंदनार्थ समायाता / राजा पौराश्च चक्तितः // 6 // 314 प्रारब्धा देशना रम्या / हृदयानंदकारिणी // पपुः कर्णपुटैः सर्वे / पीयूषमिव देहिनः // 7 // य. त्रांतरे समायातः / कांतारात्काष्टवाहकः॥ काटनार दितौ दिप्त्वा / चिंतयामास मानसे // 7 // नेहलोको न वा लोकोऽपरोऽपि मम विद्यते // अजागलस्तनस्येव / मम जन्म निरर्थकं // 7 // एवं वितळ स रंको / बंदनार्थ समागतः // वंदितो गणभृद्भक्त्या / श्रुतो धर्मस्तदोस्तिः // 10 // नावितो मानसे स्वस्य / दयोपशमयोगतः // प्रवर्धमानसंवेगः / प्रोवाच गणनायकं // 11 // यूयं नाथा अनाथानां / विधायानुग्रहं मम // यद्यस्ति योग्यता मह्यं / तदा दीदा प्रदीयतां // 1 // नव्योऽयमिति विज्ञाय / दीक्षितस्तरदाणादसौ // जग्राह द्विविधां शिदा / ग्रहणासेवनामिकां // // 13 // गुरूपदेशतस्तत्र / विजहार गृहे गृहे // शक्तपानकृते नित्यं / गीतार्थमुनिभिः सह // / // 14 // काटनारवहो दारि / तृणनारवहोऽपि च // कंमकः पीशकश्चैव / पादपदालकस्तथा / / Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.