________________ 30 धर्म | धीवराश्च समाहृता / पृष्टाः प्रीतिपुरस्सरं // जानीय गौतमं दीप-मूचे तैर्जानीमो वयं // 61 // / होता परं निर्मानुषो दीपः। किं गतैस्तत्र साध्यते // श्रेष्ट्याह किं विचारेण / गृह्यतामीप्सितं धनं // "| // 6 // स्वीकृतं धीवरैः सर्व / पोतोऽपि प्रगुणीकृतः // भ्रियते नस्मनांडेन / लोकाश्वोपहसंति तं // 63 // साधके तिथिनदात्रे / पूजयित्वा महोदधि // सोऽथ पोतं समारूढो / मुक्तः पोतोऽपि धी. वरैः // 64 // वेगेन गंतुमारब्धः / पृष्टतः पवनेरितः // मासैः कतिपयैरेव / हीपं संपाप गौतमं // // 65 // मुक्तश्च नगरस्तत्र / पोतः स्थिरतरीकृतः // विझतो धीवरैः श्रेष्टी। दीपोऽयं गौतमानिधः // 66 // पोतादुत्तार्य तत्राथ / राशयो जस्मनः कृताः / विकीर्ण सर्वतस्तच्च / गतास्ते वासवृमिषु // 67 // यथास्थानं गते लोके / श्रेष्टी जातो निराकुलः // एकं गणमेकांते। दग्धं प्रत्ययहेतवे // 6 // पर्यायांतरमापन्नं / जातं रत्नमनुत्तमं // ततः संजाततोषेण / छगणानां बजाः कृताः // // 65 / / शोषितास्तापयोगेन / भृतः पोतः समंततः // समये स्वयमारुह्य / मुक्तः पूजापुरस्सरं / / // 70 // गरुत्मानिव वेगेन / निज स्थानमुपागतः // मुक्ता नंगरा मिलितो। लोकः सर्वोऽपि | कौतुकी // 11 // वसुसारोऽपि वेगेन / राजांतिकमुपागतः // वद श्रेष्टिन किमानीतं / गणानीति PP.AC.Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust