________________ "धर्म / वाताश्च निर्मलाः // स्थाने स्थाने विलोक्यते / फेनपुंजा श्वोदधेः // 3 // तत्र राजाजवत् श्री. / मान् / श्रेयोधाम पदं श्रियां // विक्रमाक्रांतभूपीवः / सिंहविक्रमसंज्ञितः // 4 // अपरित्यक्तमर्याः दो / वाहिनीशतसेवितः // अनेकगुणरत्नौष-युक्तः पतिविांगसां // 5 // श्रेष्टिवर्योऽजवत्तत्र / 303 श्रेष्टकार्यविधायकः // वसुर्नाम्ना यशोधामा / विश्वश्रीकुलमंदिरं // 6 // सदाचारो गुणाधारो / धी. रो धर्मपरायणः // कृती सत्यप्रतिज्ञश्च / शुचिर्षीमान सतां मतः // 7 // युग्मं // वसुकांता जनी तस्य / जनानंदविधायिनी // प्रीतिपात्रं गुणक्षेत्रं / दानदाक्षिण्यमंदिरं // 7 // तयोर्बुजानयोः सौ. ख्यं / शब्दादिविषयोजवं // कालक्रमेण संजातः / सत्पुत्रस्तुष्टिकारकः // // महामहोत्सवेनाथ / तस्य नाम प्रतिष्टितं // वसुसार इति ख्यातं / निःशेषैवैधुनिर्मदा // 10 // यथासौ वर्धते बा. लो। लाब्यमानी यथेप्सितं // संपद्यमाननिःशेष-समीहितमनोरथः / / 11 / / कालक्रमेण पि. त्रासौ / ग्राहितः सकलाः कलाः॥ यौवनं च समारूढ-स्तरुणीजनमोहनं // 15 // समानकुल शीलायाः। कन्यकाया महर्डितः / / वसुधरेतिसंझायाः / स पित्रा ग्राहितः करः // 13 // अथैवं | परमप्रीत्या / साध पुत्रेण तिष्टतः // श्रेष्टिनो वसुसंज्ञस्य / वव्रजुस्विासराः // 14 // अन्यदा श्रे P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust