________________ धर्मः ततो मृत्वा सुरो जातो / भवदीयविमानके // संपादयत सर्वाणि / मंगलानि डुतं दृतं / / // 41 // कालक्षेपो न कर्तव्यः / कार्याणां त्वरिता गतिः // ततोऽन्नयकुमारेण / सर्वमेतन्महीभृते | // 42 // कथितं न भवत्येव / तातायं रौहिणीयकः // अझातेन च किं तेन / मारितेन तपस्वि. २ण्ण ना // 3 // युग्मं // दुःखेन लन्यते तात / मानुष्यं जन्म जंतुना // राजाह रोचते यत्ते / तत्कु. रुष्व यदृचया // 4 // ततोऽजयकुमारेण / स्वभृत्या नशिता यथा // रेरेऽर्धचंद्रकं दत्वा / गृहो. त्वा दक्षिणे करे // 45 // निष्कामयत तं तेऽपि / कृत्वैवं तं बनापिरे / / मुक्तोऽसि मंत्रिणा नद्र। गब तत्सत्वरैः पदैः // 46 // युग्मं / / पुनर्जातमिवात्मानं / मन्यमानोऽय सोऽपि हि // अददद्द. क्षिणे दृष्टिं / वामतः पृष्टतस्तथा // 7 // हुतं पुतं विनिर्गत्य / व्यजनं देशमाश्रितः // ततश्च चिंतयामास / चौरः संवेगमागतः // 4 // युग्मं / / ते धन्या येऽत्र शृएवंति / वचः सर्वजाषितं // यदनिहत एवेह / श्रोतुं मे कर्णयोर्गतं // 4 // जीवितव्याय संजातं / वाणमन्येन नो कृतं॥ नमः श्रीवीरनाथाय / वरितांतरशत्रवे // 50 // सुरासुरनमस्याय / संसारावनिसेतवे / पूर्वापरावि रुघाय / जीवानां शुधिहेतवे / / 51 / / संसारसौधदीपाय / श्रीवीवचसे नमः // यतोऽद्य कष्टयोः / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust