________________ श् धर्मः / ततः संवादनाहेतोः / कृतात्मनि परीक्षणा // यावद् दृष्टं चलं चक्षुलगौ पादौ च ऋतले // 30 // का न स्वर्गो न सुरा एते / न देव्यो न विमानकं // मायाविलसितं सर्व-मजयस्येति लक्ष्यते // // 31 // मम नामपरिझान-निमित्तमिति मे मतिः // इदं च चिंतितं तेन / बहिश्चेदं प्रकाशि तं // 32 // भवद्भिर्यदहो पृष्टं / पित्राद्यं तन्निशम्यतां // धान्यपूरान्निधे ग्रामे / शिवशक्तेः कुटुंबिनः // 33 / / गृहिणी श्यामलानाम्नी / दुर्गशक्तिरहं सुतः // दयादानसमायुक्तः। सर्वदर्शनजक्ति मान् // 34 // सदा स्वदारसंतुष्टः / परद्रव्यपराङ्मुखः // अन्यदा च जनन्या मे / रजन्याः प्रहरे गते // 35 // गाढा विशूचिका जाता / जीवितव्यांतकारिणी // तेनाहं प्रेषितः पित्रा / वैद्यानय. नहेतवे // 36 // यावत्तत्र गतस्ताव-त्पुरदारं नियंत्रितं // करणाभ्यासयोगेन / शालमुलंघयन्नई // 37 // शालस्थितभटैबको / दौकितोऽनयमंत्रिणे // दपादये च तेनापि / नीत्वा राज्ञे समर्पितः // 30 // तेनापि सादरं दृष्टो / गौरवेण धृतः दणं // सादरं प्रीतिवृष्यर्थ-मगयेन निमंत्रितः // 30 // नीतस्तेन निजे गेहे / मद्यपानं च कारितः // मत्तश्च न तदा किंचि-जानेऽहंगतचेतनः // 40 // PP. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust