________________ 27 धर्मः | अनाथानां नवान्नाथो / जातो बृहन्मनोरथैः / / शृणु कल्पं विमानेश / मंगलं येन कुर्महे // 10 // / | पिता माता निजं स्थानं / नाम कर्म च कथ्यतां // पूर्वजवजवं सर्व / क्रियते येन मंगलं // 1 // ततः संभ्रांतचित्तेन / तस्करेण विचिंतितं / / सांप्रतं का गतिः कोऽपि / प्रकारो विस्मयावहः // 20 // घटामाटीकते सर्व / यदनेन प्रजाषितं / स्वर्गः स्वर्गोहताश्चैता / श्मे देवा अहं सुरः // 21 // देवविमानमेतचा दृष्टं दृष्टिमनोहरं // पित्रादिकर्मपर्यतः / परं प्रश्नो न संगतः // 2 // यथात थ्येन किं सर्व / कथ्यते गोप्यतेऽथवा // न जाने निश्चयं तेन / चेतो दोलायते मम // 23 // एवं संशयमापन्नो / यावदास्ते मलिम्बुवः // तावञ्चित्ते गतं तस्य / वचः सर्वजाषितं // 24 // यदुक्तं वीरनाथेन / वदता देवलदणं // न स्पृशंति नुवं देवा / निर्निमेषनिरीक्षिणः // 25 // रागद्वेषमहामोह-मूढचित्तस्य गाषितं // न तदेकांततः सत्यं / सत्यासत्यं हि तहचः // 26 // रा. गद्देषमहामोह-दोषमुक्तस्य जटिपतं / / सत्यं पाषाणरेखेव / यथैवोक्तं तथैव तत् // 27 // तदस्ति जीवनोपायो। ममाप्येष न संशयः // पश्यामि तावदेतेषां / देवानां दृष्टिलदाणं // 20 // | सोऽथ शय्यां परित्यज्य / निषलो ह्यासनोपरि // सनिमेषा श्मे दृष्टा / लमपादाश्च भूतले // 25 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust