________________ धर्म: / ससंत्रमं // प्रसादः क्रियते कस्य / स्वामिना वेद्यतां मम // 70 // राजाह रौहिणीयस्य / तवायं वीरकर्मणः // स प्राहालं प्रसादेन / मुक्त्वा वस्त्रादिकं ततः // 71 / / तांबूलं च परित्यज्य / निष पाः शुधकृतले // विषमवदनो दीन / उवाचेदं नृपं वचः // 72 // विधातुर्विस्मृतो येन / न कृतं मे स्तनयं / / परनामोपजीवी यो / रामा सा न पुमानसौ // 13 // वरं मृतो वरं दग्धो / मा सं. जातो वरं नरः // परस्य नाम विक्रीय / प्रसादं यः प्रतीबति // 14 // धान्यपूराभिधे ग्रामे / शि. वशक्तिः कुटुंबिकः // श्यामा जार्या तयोर्जातो / दुर्गशक्तिरहं सुतः // 79 // तस्मै यदेहि तद्देहि / नाहं हि रौहिणीयकः // श्रुत्वेदं जुजा मुक्तः / स्वीकृतो दंम्पाशिना // 76 / / बाकारितो न रेण / मंत्री मंत्रिपुरस्सरः // अजयो जणितश्चेदं / नामाप्येष न मन्यते // 9 // अप्रतिपनना मा च / कथं कष्टेन मार्यते // तथा कुरु यथा नाम / खयं स प्रतिपद्यते // 9 // ततो निाः कुला यूयं / तीर्णजाराः समंततः // वयमेव करिष्यामो / यथा युक्तमतः परं / / 70 // अजयेना पि सस्नेहं / राजाध्यदं स जल्पितः // प्रीतिवृधिकृते भद्र / गोक्तव्यं मद्गृहे त्वया / / 70 // दद | तां वर्धते प्रीतिः / समये प्रतिगृह्णतां // गुह्यं कथयतां चैव / समये प्रतिशृण्वतां / / 71 // झुंजतां P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust