________________ धर्मः // 46 // वैनारपर्वते गत्वा / जुक्त्वा च वरजोजनं // पीत्वा च वखारीणि / निलीनो निभृतं स्थि तः // 4 // दिनं गतं निशा जाता / तमःस्तोमो विज॑नितः // दृश्यं न दृश्यते वस्तु / लोकेन पुरतः स्थितं / / 4 // घूत्कृतं घूकसार्थेन / शिवाभिश्च क्वासिरे // स्फीतफेत्कृतशब्देन / जनसं 271 | त्रासकारिणा // 4 // श्तश्च मंत्रिणा प्रोक्तः / पुररदाविधायकः // हाररदाद्य कर्तव्या / प्रतोली. नां प्रदानतः / / 20 // प्रतिपन्नमिदं तेन / क्रियया च तथा कृतं / शालोऽपि मालितः सर्वो / निरंतरं पदातिना // 51 / / पर्वतातूर्णमुत्तीर्ण-स्तस्करो रोहिणीयकः // वीरवेषधरो वीरः / संप्राप्तः शालसन्निधौ // 5 // अज्ञातपुरवृत्तांतः / करणान्यासयोगतः // शालमुलंघयन बकः / शालस्थ. सुटैढं // 53 / / ततोऽजयकुमारस्य / शीघं नीत्वा स दौकितः // तेनापि यंत्रितं कृत्वा / सुप्रय. नेन धारितः // 24 // पादये दिनं जात-मुदितोऽरुणसारथिः // स्वकर्मधर्मसंयुक्ता / जज्ञिरे निखिला जनाः // 55 // कृतप्रजातकर्तव्यः / श्रेणिको मगधाधिपः // सन्नासिंहासनासीनो / लो. केन परिवारितः // 26 // यावदास्ते दणं ताव-दनयोऽपि समागतः // रौहिणीयकनामानं / गृ. हीत्वा तस्करं तकं // 27 // युग्मं // वयं निराकुला जाता-स्तात तीर्णजया यतः॥ प्रभूणां वचः / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust