________________ धर्म प्यु-पायोऽन्यश्च विचिंत्यते // 35 // शालोपरेण कोऽप्येष / संचरति न संशयः // तस्माबगलं टीका विशालेन / मालयामि पदातिना // 36 // इदं विचिंत्य विज्ञप्त-स्तेन राजा रहः स्थितः // पा. दातं मदधस्तात / रात्रिमेकां विधीयतां // 37 // प्रतिपन्नं नरेंण / वत्स किं याचितं त्वया // त्व. __ 20 | दाधीनं हि मे राज्यं / प्राणा अपि च तावकाः // 30 // ततोऽनयकुमारेण / पादातेन समंततः // प्राकारो मालितः सर्वः / सावधानेन सर्पता // 30 // श्तश्च नगरासन्ने / ग्रामे च रोहिणीयकः // गतो बंधूपरोधेन / स्थितश्च प्रहरवयं // 40 // वलितः सत्वरैः पादैः / प्राप्तो राजगृहे पुरे // एकतो धर्ममाचष्टे / महावीरो जिनेश्वरः // 1 // अन्यतः पुरलोकेभ्यो / नयं तस्य विवर्धते / तदिदं हंत संजात-मितो व्याघ इतस्तटी // 4 // कर्णयोरंगुलीर्दत्वा / वेगेन प्रपलायितः // विछो सव्येतरे पादे / शूलया धूलिछन्नया // 43 / / ततो गंतुमशक्तेन / जीतजीतेन तेन सा // शुला दक्षिणहस्तेन / शीघ्रमेव समुध्धृता // 4 // | श्तश्च लोकनाथेन / वदता देवलदाणं // न स्पृशंति नुवं देवा / निर्निमेषनिरीक्षिणः // 45 // इत्यादि गदितं वाक्यं / प्रविष्टं तस्य कर्णयोः // योऽपि चांगुलीर्दत्वा / कर्णयोः स पलायितः // PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust