________________ धर्मः / // 26 // स्निग्धस्त्रीवेणिसंकाशा / विजिह्वा दुर्जनोपमाः // सरस्तंबतले दृष्टौ / शुक्लकृष्णौ च वर्णमतः // 17 // मूषको तस्य मूलानि / खनंतौ तावनारतं // श्तश्च दंतिना तेन / क्रोधांधीकृतचक्षुषा | // 20 // तिर्यग्दत्तप्रकारेण / समुध्धृतकरेण च // बलिना मदमत्तेन / दंताज्यामाहतो वटः // // 27 // अष्टन्निः कुलकं // स शाखी शतशाखोऽपि / दशनाघातपीडितः // चकंपे शत्रुणा रुखों / यथा कातरमानवः // 60 // नानानीमसमुड्डीन-विहंगमविकूजितैः / मुक्तकंठं कठोरेण / रोदितीव खरेण सः॥ 61 // अल्पसत्वस्य सत्वस्य / महतोऽपि महाजयं // सिंहे लघुशरीरेऽपि / सत्वतो मृगराजता // 6 // कूपस्योपरि या शाखा / तस्यां यन्मधुपुटकं // तद्भनं मदिका नष्टा / धाविता रुंगरंपति // 63 // स तानिश्चंडतुंमान्निः / खाद्यमानो मुहुर्मुहुः // किं करोति सहत्येव / तीव्रःख परंवंशः // 64 // शाखातः पतितो बिंदु-मधुनस्तस्य मस्तके // शनैः शनैर्घठनेष / मु. खमूलमुपागतः // 6 // ततः सर्वाणि सुःखानि / हस्त्यादीनि जयानि च // विहाय पृष्टतः पापः / पपौ तं मधुबिंदुकं | // 66 / / ललल्लालाकरालेन / जिह्वाग्रेण समंततः // लिलेह खं मुखं श्वेव / रसास्वादनतत्परः / / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust