________________ धर्म: | लेनेव तु कालेन / नगजेन गजेन सः // दृष्टः क्रूरदृशा तेन / हेलया हंतुमिबता // 6 // त्रि निर्विशेषकं // उंगरोऽपि गजस्याये / धावमानः शनैः शनैः / / जराजर्जरसर्वागीं / स्त्रियमेकां व्य. लोकयत् // 4 // सोऽपि तं गजमालोक्य / समागबंतमातुरः // नश्यन्नितस्ततः शीघं / वटमेकमुपागतः // 40 // शतशाखं सुविस्तारं / सुपत्रं दिजसेवितं // पुण्यं पुण्यफलोपेतं / सत्पुरुषमिवोन्नतं // 4 // कलापिकोकिलाकांत-सारिकाशुकशब्दितैः // गायतमिव नृत्यंतं / मरुत्कंपितपल्लवैः // 10 // तमारोढुमशक्तेन / नयनीतेन सर्वतः // अधोऽधः पश्यता तेन / अंधकूपो विलो. कितः // 21 // त्रिनिर्विशेषकं / / वन्यवारणजीतेन / प्राणप्रीणनवांचया // तेनात्मा चावटे दिप्तः / सरस्तंबस्तदंतरे // 5 // ... विलोकितो गृहीतश्च / जान्यां जीवितार्थिना / / स तत्र लंबमानो हि / यावदास्ते दणांतरं // 53 // तावत्कूपतले दृष्टोऽजगरो यमसन्निनः // ऊर्ध्ववको महाकायो / बृहत्कुदिर्महो. दरः // 24 // रौद्रः संदर्शनादेव / संपादितमहादरः // श्तश्च पश्यता तेन / कूपांतश्च दरीस्थिताः // 55 // चत्वारः पन्नगा दृष्टया / महाकाया महानयाः // सनीरनीरदबाया / रक्तादाः दामकुदयः P.P.AC. Gunratrasuri MS. Jun Gun Aaradhak Trust