________________ धर्म कर // द्रव्याद्यनिग्रहः सार्धे / पालितः संयमश्चिरं // 63 // एवं हादशवर्षाणि / संलेखनाविधान तः / / पर्यतेऽनशनं कृत्वा / समजावसमन्वितः // 64 // मृत्वा च वैजयंतेऽसौ / संजातोऽनुत्तरः सुः रः॥ ततश्युत्वा विदेहेषु / राजा नृत्वा महाबलः // 65 // लब्ध्वा चारित्रसल्लदमी / पालयित्वा च | निर्मलां // प्रलीनाशेषकर्माशो। गतः सिद्धिं महापुरीं // 66 // इत्यष्टमपूजाफलकथानक परिसमाप्तं॥ नुक्तानि पुष्पाद्यष्टविधपूजाफलसूचकान्यष्टावपि कथानकानि. अय प्रकारांतरेण पूजामेवाह- // मूलम् // अष्टस्वंगेषु वा पूजा / पुष्पैरेष्टनिरर्हतः // विशुष्प्रणिधानेन / कर्माष्टकदार्थ करी // 1 // अष्टकर्मविनिर्मुक्त-पूज्य सद्गुणसूचिका // अष्टपुष्पी समाख्याता / फलं जावनिबंधनं // 2 // एकेनापि हि पुष्पेण / पूजा सर्वविदः कृता // त्रिजगत्यपि तन्नास्ति / वस्तु सद्यन्न यति // 3 // व्याख्या-इति श्लोकत्रयं स्पष्टं, न वरमष्टावंगान्यमूनि-शीर्ष 1 जरः 1, उदरः 3, पृष्टिः 4 द्वौ बाहू 6 वे ऊरुणी छ, एतेष्वष्टस्खंगेषु एकैकपुष्पदानात्पुष्पाष्टकं, अर्हतस्तीर्थकृतो विशुष्प्र. विधानेन निर्मलांतःकरणेन कर्माष्टकदायंकरी, झानावरणाद्यष्टकर्मोबेदकारिणीति. तथाष्टकर्मविनिमुक्तपूज्यसशुणसूचिकेत्यष्टकर्मविनिर्मुक्तश्चासौ पूज्यश्च तीर्थकृत्तस्य सशुणास्तेषां सूचिका प्रदर्शिका, Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.