________________ 266 | मि पयपूर धर्म- सब्जिय-कलसंकुसलंबियाण सुहयाण // वरमंगलनिलयाणं / नमो नमो तुप्न पायाणं // 41 // | का सुरनरपहुपणयाणं / सरणागयवऊपंजरसमाणं // पणयजयमुहयराणं / नमो नमो तुप्न चलणाणं // 42 // तह पसियसु सामि तुमं / पणईयाण कप्पपायव जिणिंद // प्रासंसारं जह तुह / करे | मि पयपूयणं अयं // 3 // ___ एवं स्तुत्वा जिनाधीशं / सनत्या कुंदकंदली // निष्क्रांतातीवसानंदा / जिनमंदिरमध्यतः // / / 44 // गता राज्ञः सकाशे सा / निषमा च तदंतिके // ततस्तत्र जनैः सर्वैः / कृता पूजा विशेषतः // 45 // एवं तत्र नराधीशः / समं लोकैमहर्षिन्निः // कारयित्वा जिनस्नात्रं / निजमंदिरमागतः // 46 // जिनपूजाफलं ताह-ग्दृष्ट्वा तत्र जनो बहुः // श्रीमझिानेंद्रपूजायां / यत्नं चक्रे वि. शेषतः // 4 // अथासौ नरनाथस्य / मंदिरे कुंदकंदली // यमंदानंदसंदोह-मना पूर्णमनोरथा // 4 // त्रिसंध्यं पूजयंती च / जैनबिंबानि नावतः / कुर्वती श्रावकं धर्म / शृण्वंती च जि. नागमं // 4 // दधती वरवात्सल्यं / सदा साधर्मिके जने // धर्मतत्वं च पृढ़ती / गमयामास वा. सरान् / / 20 / / त्रिनिर्विशेषकं / / प्राचीननवसंबंधि-तीव्रदुःखपरंपरां / / स्मृत्वा स्मृत्वा ददौ नैव / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust