________________ धर्म- दृशा // 19 // तथासौ चिंतयामास / क मन्ये दृष्टपूर्वकं // जैनचंद्रमिदं गेहं / विसं चेदं मनोहर // 20 // काननं च मनोहारि / वृदासंदोहसंकुलं // पत्तनं च जनश्चैष / क दृष्टोऽयं नराधिपः // // 31 // एवं विचिंतयंत्याश्च / तस्याः शुधिविशेषतः // जातिस्मरणमुत्पन्नं / प्राचीननवगोचरं // // 25 // तेनालोकि स्ववृत्तांतः / सर्वः पूर्वभवोद्भवः // ततो मूर्छावशादेषा / पपात धरणीतले / / // 23 // ततश्चाकुलचित्तेन / सखीलोकेन सत्वरं // वीजिता तालताद्यैः / सिक्ता शीतलवारिणा // 24 // दणेन लब्धचैतन्या / स्वस्थीता समुबिता // वृत्तांतमिममाकर्ण्य / तत्रायातो नरेश्वरः // 25 // ततः पृष्टा नरेंडेण / मूर्गकारणमादरात् // तयापि कथितः सर्व-स्तस्मै पूर्ववो निजः // 16 // ततश्च विस्मितो राजा। शेषलोकश्च पौरखः // हृष्टः प्रशंसयामास / जिनपूजामहाफलं॥ // 7 // ततः समग्रसामय्या / सर्वैः समंधवस्तुन्निः // महा कारितं राज्ञा / स्नात्रं नत्र जिना. लये // 20 // ततश्च कुंदकंदव्या / पूजितोऽसौ जिनेश्वरः // कर्पूरकुंकुमोन्मिश्र-सच्चंदनविलेपनैः // 27 // पूजितश्च महामूख्य-वस्त्रपुष्पादिवस्तुभिः // ततः स्तोतुं समारब्धा / संवेगनरनि नरा / / 30 / / तद्यथा- . Jun Gun Aaradhak Trust *P.P.AC.Gunratnasuri M.S.