________________ धर्म- दा मम स्फीताः / संजाता राज्यसंपदः // 6 // सूरिः प्राह महानाग / कथ्यते शृणु सादरं // टीका | श्तो जवाचतुर्थे त्वं / जवे हर्षपुरे पुरे // ए // बढश्च दुर्गता नारी / परकर्मकरी सदा // ज्ञश्च नगरात्तस्मा–द्व्यूतांतरसंस्थितं // // आसीज्जनमनोहारि / काननं कुंदसुंदरं / / तत्र शुत्रा संकाशं / तुंगं जैनेंडमंदिरं // ए // युग्मं // तस्य मध्ये शिवं शांतं / किंवं जैनेश्वरं महत् // तत्सुतीर्थमिति ख्यातं / जनवांतिपूरकं // 100 // तत्र चानेकदेशेव्यः / समायाति बहुर्जनः // स्तोत्रं पूजां बलिं चैव / विदधाति निरंतरं // 1 // अथासौ दुर्गता नारी / कानने कुंदसुंदरे॥ कृ. ता लोकैः प्रपापाली / जनं पाययते पयः॥२॥ ___अन्यदा च समायाताः / श्रीमंतो बहवो जनाः // महा तैः समारब्धं / स्नात्रं तत्र जिना लये // 3 // सापि तत्र प्रपापाली / गता स्नात्रदिदृदया // स्नाप्यमानस्तया दृष्टो / जिनः कुन्नैः पयोभृतैः // 4 // ततो हर्षजरापूर्णा / मनस्येवं व्यचिंतयत् // अहो धन्या श्मे लोकाः / पुण्यवं. तः कृतार्थकाः // 5 // श्लाघ्यमेषामिदं जन्म / य एनं परमेश्वरं // कुंकुमोदकसंपूर्णैः / सत्कुंभैः स्न| पयंत्यहो // 6 // अहमपुण्याऽधन्यैव / निःपुण्या दुःखःखिताः // दुर्गदारिद्यसंदग्धा / किं कुर्वे ध. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust