________________ धर्म | साधूचिते स्थिताः // निर्गता वंदनाद्यर्थ / नगरान्नागरा जनाः // 5 // म . अथैवं हेलया लोकं / निर्गबंतं पुराहिः // दृष्ट्वा पप्रब नृपालः / खं पुमांस सकौतुकः // // 6 // स प्राह मयका राजन् / जटपन्नेवं जनः श्रुतः / यथेह सूरयः केचि-दुद्याने बहिराग| ताः // 7 // तेषामेष जनः सर्यो / वंदनार्थ विनिर्गतः // श्रुत्वेदं रससारोऽपि / कृत्वा सामग्रिकां दणात // 7 // जगाम सिंधुरारूढः / कानने सूरिसन्निधौ // इत्याजिवंद्य तं सूरि / नातिदूरे निषष्मवान् // 7 // युग्मं // ततः सदर्थगंजीर-वरवाक्यैः सुकोमलैः / / सूरिनिरिसंवेगैः / प्रा. ख्या धर्मदेशना // ए० // तद्यथा-यानपात्रं जवांनोधे-तिहाररोधिका // दया धर्मस्य स खं / कर्तव्या सर्वदा बुधैः // 1 // सत्यं हितं प्रियं वाक्यं / वाच्यं सत्वसुखावहं / / सर्वदापि प. रित्याज्यं / चौर्य दुःखनिबंधनं // 55 // मातेव सर्वदा दृश्या / , धार्मिकेण परांगना // परित्याज्य सदा धीरे-महारंभपरिग्रहः // 13 // संसारसौख्यवैमुख्यं / विधेयं सुधियाधिकं // कार्यः सज्ज नसंसर्गो / न कार्याऽनार्यसंगतिः / / ए // श्याद्यनेकधा धर्म–माचदाणं मुनीश्वरं / नत्वा प्र. | स्तावमासाद्य / रससारोऽब्रवीदिदं // ए१ // जगवन् किं मयाकारि / सुकृतं पूर्वजन्मनि // येनेह Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.