________________ टीका धर्मः। दात्मनः // क्रमेणोल्लसिता कीर्तिः / शंखकुंदेंदुनिर्मला // 33 // एवं च श्लाघ्यमानोऽसौ / मान्यः | | मानो महाजनैः // वल्लनो नृपतेर्बादं / भुंक्ते विषयजं सुख // 14 // अन्यदा स महीनायो। गुः / | सारश्चिरं महीं / पालयित्वा निजे राज्ये / निजं पुत्रं न्यवेशयत् // 11 // रससारं गुणाधारं / / सदाचार सतां समं / सम्मतं राजलोकानां / सर्वसामंतमंत्रिणां / / 76 // युग्मं // स्वयं पुनर्विनि र्गत्य | पुरादानाष्य पौरखान // कुलक्रमसमायातं / वनवासमशिश्रियत // 9 // रससारस्ततो रा. ज़ा / संजातश्चंडशासनः // सूर्य श्व प्रतापेन / समाक्रांतरसातलः / / 9 // अन्यदा च महादेवी / नाम्ना सौजाग्यसुंदरी / / सर्वलक्षणसंपूर्ण / पुत्ररत्नमजीजनत् // // कारितश्च ततः पित्रा / पुत्रजन्ममहोत्सवः // कृतसर्वजनानंदः / पूरितार्थिमनोरथः // 70 // हादशाहे च संवृत्ते / मह. ोत्सवपूर्वकं // जयसार इति ख्यातं / तस्य नाम प्रतिष्टितं // 01 // अथासौ ववृधे बालो। धा. त्रीपंचकलालितः // शशीव प्रत्यहं लोक-लोचनानंददायकः // 72 // क्रमेण यौवनस्थेन / ते. नोढा राजकन्यका // दत्वा छत्राद्यलंकारान् / पित्रा स युवराट् कृतः॥ 3 // अन्यदा बहिरुद्याने / / वनसुंदरनामनि // विहरंतः समायाताः / सूरयः श्रुतसुंदराः // 4 // अवग्रहमनुज्ञाप्य / स्थाने | . P.P.AC. Gunratnasur M.S. Jun Gun Aaradhak Trust