________________ . धर्म-| युग्मं // तयापि सुंदरं ज्ञात्वा / रदितं न तु जदितं // प्रभाते च तमादाय / सा गता नृपमंदिरे // 3 // प्रणम्य नृपतेः पादौ / तया तत्फलमर्पितं // प्रत्यायनाकृते राझा। समाहूता वसुंधरा / / // 24 // ततः सुखासनस्थाया / दत्तमस्याः करे फलं // ततो विलासिनी पृष्टा / कुतो लब्धमिदं त्वया // 25 // तया वणिक्सुतः शिष्टो / वणिजापि च उंगरः / / एतत् श्रुत्वा च दृष्ट्वा च / विस्म यस्मेरलोचना // 26 // प्रोवाचेदं सभामध्ये | राजमाता वसुंधरा // अहो सत्यापितोऽनेन / जन. वादोऽयमीदृशः // 27 // युग्मं // अथवास्यापि नो दोषो। यस्य कर्म पराङ्मुखं // द्रोणमेघजलं जातु / हुंगरे नावतिष्टते // 20 // अप्राप्तं जायते नैव / नाकृतं कर्म भुज्यते // संप्राप्तं च कृतं 5 चैव / कर्म जीवफलप्रदं // 27 // नणितं च-जो जेत्तियस्स अबस्स / जायणं लहश् तेत्तियं सो न // वुठेवि दोणमेहे / न मुंगरे पाणियं गश् // 30 // न हि नवति यन्न नाव्यं / नवति च नाव्यं विनापि यत्नेन // करगतमपि नश्यति / यस्य तु नवितव्यता नास्ति // 31 // यद्यावद्या: शं येन / कृतं कर्म शुनाशुनं / / तत्तावत्तादृशं तस्य / फलमप्यवतिष्टते // 32 // एवमुक्त्वा ग 7 ता राझी / विसर्जितसनो नृपः / / राजकार्यपरो जातो / मुंगरोऽपि गतो गृहं // 33 // विषादवि मापीर बागा P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust