________________ धर्म: // 11 // त्वं हि विश्वंजरो राजा / उंगरश्च त्वदाश्रितः // रत्नाकरः सखा यस्य / स कथं दुर्गतायः | ते // 15 // एतन्निशम्य संजात-गुरुखेदो नराधिपः // जगादेदं जगत्पूज्यो / मातृप्रत्यायनाकृते // 13 / / दत्तमस्मै मया मात–र्धनं जीवनहेतवे // न तिष्टति परं याति / विहस्ते यथा जलं 2 // 14 // एवमुक्त्वा समाहूतः / शिल्पिकश्छेदकोविदः / तथा च पाटितं तेन / मातुलिंग प्रवेशि. तं // 15 / नृपांगुलीयकं तत्र / लदमूल्यं मनोहरं / / सीवितं च तथा तेन / दुखदं जायते यंथा // 16 // युग्मं / जणिता वसुंधरा राज्ञा / वहस्तेन समर्पय // फलमस्मै महामूल्यं / मुडालंका| रसंभृतं // 17 // तयापि दौकितं तस्मै / चलितोऽसौ निजे गृहे / गबता चिंतितं तेन / किमने. नं करोम्यहं // 10 // यस्य मे नोजनं नास्ति / फलं तस्य करोति किं // ततश्च गबता तेन / वणिक्पुत्रो धनंजयः // 17 // धनवानग्रतो दृष्टः / फलमस्मै समर्पितं / / तेनापि रूपको दत्त-स्त. मादाय गृहं गतः // 20 // युग्मं // नं ददात्यधिकं दातुं / विधिरस्य विबंधकः // इतश्चास्ति सशृंगारा / मान्या मन्मथमंदिरं / / // 21 // मगधासुंदरीनाम / राजपिमविलासिनी // धनंजयेन तत्तस्यै / दत्तं कामसुखार्थिना // 2 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust