________________ धर्मः | यद्यस्तीह तदा ध्रुवं // पतिष्यंत्येव तोयानि / नान्यथेति किमाकुलाः // 30 // अन्यैः पुनरिदं प्रो.। - तं / कूर्चामर्षणपूर्वकं / / जो राजन् यद्दयं ब्रूम -स्तदाकर्णय सांप्रतं // 40 // यः कश्चिदत्र सत्पु| एयो / महासत्वो नरोत्तमः // यद्यसौ सत्वमालंब्य / निश्चयं कुरुते नृप // 11 // जलं वा पातया | म्यद्य / वह्नौ वा प्रविशाम्यहं / / यद्येवं कुरुते कोऽपि / तदा वर्षति माधवः // 4 // श्रुत्वेदं नरना थेन / मंत्रिलोकप्रजापितं / तथैवाकारि यज्ञाद्यं / सर्व नो पतितं जलं // 3 // ततो ज्योति ककाः केचि-न्महासत्वाश्च केचन // निश्चयं कर्तुमारब्धाः / स्पर्धमानाः परस्परं // 4 // तत्र ज्योतिष्ककाः प्राहु-र्यद्यहो पंचमे दिने / पातयामो न तोयानि / मुंचामो खटिकां ततः // 4 // एवं कैश्चिद्दिनं षष्टं / सप्तमं चाष्टमं तथा // प्रतिज्ञातं न चांभांसि / निपतंति कथंचन // 46 // ततश्च ये महासत्वाः / महासत्यश्च तत्र याः // स्थितास्ते ताश्च निश्चित्य / न च मेघः प्रवर्षति // // 4 // श्रुत्वेदमथ वृत्तांतं / रससारः कुमारकः / समागत्य सजास्थानं / प्रणम्य च नराधिपं / / // 4 // एवं ब्रूते यथा देव / मेघं प्रवर्षयाम्यहं // अद्यैव निश्चितं नो चेत् / प्रविशामि हुताश| नं // 4 // युग्मं / याकायेदं ततो राजा / ब्रूते लोकाः समंत्रिणः // हाहा मा मा महानागा- | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust