________________ धर्मः .. ततश्च नृपतेचिंता / जाता संत्रांतचेतसः॥ कथं नु मामके देशे। वर्षिष्यति घनाघनः || | // 27 // शुष्यति तावदेतानि / शस्यानीह विना जलं // विना धान्यं न जीवति / मामकीना माः प्रजाः // 25 // विना लोकं न जायते / ममापि ऽव्यसंपदः / / विना द्रव्यमिमे भृत्या / न स्थास्यति ममांतिके // 30 // विना भृत्यैर्न मे राज्यं / स्थिर संभाव्यते चिरं // विना राज्यं नवि. ध्यामि / लघूनामप्यहं लघुः // 31 // एवं विचिंस पेन / समाहूताः स्वमंत्रिणः // प्रधानपौरलो. काश्च / ततश्चैवं प्रजल्पितं // 32 // नो नो में मंत्रिणः प्राझा। जो जो पौराः सुबुद्धयः॥ दु. मिदं जायते बाढं / कथ्यतां किमु कुर्महे // 33 // चिंत्यतां कोऽप्युपायोऽत्र / येन मेघः प्रवर्षति // श्रुत्वेदं नृपतेर्वाक्यं / तत्रे कैश्चिदृचिरे // 34 // ईज्यतां विविधा यज्ञाः / पूज्यतां ब्राह्मणास्तथा // हूयंतां रिसपीषि / ज्वलज्ज्वालाकुलेऽनले // 35 // अन्ये पुनरिदं प्राहु-क्रस्थानं गता ग्रहाः // तैश्च विष्कंचितं तोयं / मेघस्तेन न वर्षति // 36 // ततश्च क्रियतां पूजा / ग्रहाणामत्र सादरं / येन ते प्रीणिताः संत-स्तोयं कुर्वति मुत्कलं // 30 // अन्यैरजाणि जो राजन / संति पाखमिनोऽत्र ये // ते समाहूय पृच्छयंतां / जलविष्कंनकारणं // 30 // अन्ये प्रोचुः प्रजानाग्यं / Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasuri M.S.