________________ धर्म स्तया स्वमः / समानंदितचित्तया // सादरं नरनाथाय / सुष्टु कोमलया गिरा // 5 // तेनाचाणि प्रिये श्रेष्टः / पुत्रस्तव नविष्यति // सर्वेषामपि लोकानां / मनोवांछितपूरकः // 6 // प्रादुर्भूतस्ततो गर्न-स्तस्याः कुदौ सुखप्रदः // अथ सोवाह तं गर्न / संपूर्णाखिलदोहदा / / 7 // तस्मिन् ग 254 नस्थिते वृष्टाः / सर्वत्रापि घनं घनाः // पूरिता च जलप्लावैः / सर्वतोऽपि हि मेदिनी // 7 // स. र्वेषामपि संजाता / रसानां वृधिरुचकैः // धान्यानि च समर्घाणि / सर्वदेशेषु जझिरे // एवा. सरेषु च पूर्वेषु / पुत्रं सासूत सुंदरं / / कारितं च ततः पित्रा / वर्धापनकमंगलं // 10 // स्वप्नानु. | सारतस्तस्य / महामहपुरस्सरं // रससार इति ख्यातं / कृतं नाम यथार्थकं // 11 // अथासौ वर्धते बालः / कलाचिर्वपुषापि च // क्रमेण यौवनं प्राप्तो / धर्मकामार्थसाधकं // 12 // परिणीतास्त तस्तेन / रूपयौवनगर्विताः // विशालकुलसंता। अनेके राजकन्यकाः / / 13 / / पूर्णाशेषमनो. वां-स्तानिः सार्धमखंमितं // शब्दादिविषयांस्तुष्टो / चुक्ते पंचविधानपि // 14 // अथ सोऽ. तशौर्येण / चक्रे दोमं हृदि विषां // चेतांसि चोरयामास / कामिनीनां सुलीलया // 15 // सन्मानेन स्वमंत्रिणां / परां तुष्टिं चकार सः / / विदुषां विनयादेव / हृद्यानंदं ददाविति // 16 // 3. * Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.