________________ धर्मः / ज्ये / पुत्रो मदनसुंदरः / / 27 / / दत्ता शिदा ततस्तस्य / मंत्रिणां च यथोचितं // यदन्यदपि का तव्यं / तत्कृतं स्वयमेव हि // // ततोऽसौ नंदनोद्याने / गत्वा सूरिपदांतिके / जग्राह विधि ना दीदां / सर्वकर्मदयंकरीं // 27 // शिक्षिता विविधा शिदा / पवितं च बहु श्रुतं // पालित२५३ |श्व चिरं चारुः / संयमस्तपसा सह // 30 // बागमोक्तविधानेन / विधायानशनं ततः // मृत्वा च द्वादशे कल्पे ! जातो देवो महर्डिकः / / 31 // ततश्युत्वा महाराज-वंशे नृत्वा महानृपः / / सं प्राप्य शुरूचारित्रं / निष्कलंकं प्रपाल्य च // 3 // आरुह्य दपकश्रेण्यां / हत्वा घातिचतुष्टयं / / नत्पाद्य केवलझानं / कृत्वा नव्यप्रबोधनं // 33 // नवोपग्राहिकर्माणि / शुक्लध्यानकृशानुना // निर्दह्य निवृतौ प्राप्तो / जातः सिकः सुखालयः // 34 // त्रिनिर्विशेषकं / / इति घृतपूजाकथानकं. घृतपूजाफलं प्रोक्तं / स्वर्गमोदप्रसाधकं / / सांप्रतं जलपूजायाः / फलं शृात कथ्यते // 1 // बभूव सुवने ख्यातो / ग्रामाकरपुराकुलः॥ बंगाजनपदस्तत्र / पुरं विश्वपुरान्निधं // 2 // गुणसारो नृपस्तत्र / प्रजापालो महाबलः // तद्भार्या रूपसौजाग्य-संपन्ना बंधुसुंदरी // 3 // अन्यदा च त. या स्वप्ने / दृष्टा मेघाः समुन्नताः / / सर्वतोऽपि जलप्लावैः / प्लावयंतो महीतलं // 5 // ततः प्रोक्त Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.