________________ धर्मः | मासांते विहितं नाम / महोत्सवपुरस्सरं // यथार्थ जातसंतोषैः / पुत्रो मदनसुंदरः // // यः। न्यदा च समायाता / बहुशिष्यसमन्विताः // तपःसंयमसंयुक्ताः / सूरयोऽमरसुंदराः // 23 // स्थिताश्च नंदनोद्याने / ऋचागे जंतुवर्जिते // अवग्रहमनुज्ञाप्य / ज्ञानत्रयसमन्विताः // 24 // वंद नार्थ समायातो। राजाऽन्येऽपि च नागराः॥ प्रारब्धा देशना चैवं / सूरिभिः समशालिन्निः॥ // 25 // सुखैषिणो जनाः सर्वे / सुखं धर्मनिबंधनं // धर्मः सदागमादेव / झायते क्रियते तथा // 26 // एष एव हि जीवानां / सुखदाता जिनागमः // हस्तालंबसमो ह्येष / नवकूपे निमऊतां // 17 // एष एव जगन्नाथो / वत्सलः परमार्थतः॥ एष एव जगत्त्राण-मेष एव सुबांधवः // // 20 // एष एव विपर्ते / पततामवलंबनं // एष एव जवाटव्या-मटतां मार्गदर्शकः // 15 // एष एव महावैद्यः / कर्मव्याधेर्निबर्हणः // एष एव परानंद-कारणं परमौषधं // 30 // एष एव जगद्दीपः / सर्ववस्तुप्रकाशकः // प्रमादरादासात्तूर्ण-मेष एव विमोचकः // 31 // एषोऽविरतिजं. बाल-कटमषदालनदमः // एष एव हि योगानां / दुष्टानां विनिवर्तकः // 35 // शब्दवेविशवा. | ते र्जीवानामिह निःकृपं // सततं पीड्यमानाना-मेष एव हि रदकः / / 33 // एष एव हि नि Jun Gun Aaradhak Trust PP. Ac. Gunratnasuri M.S.