________________ धर्मः | तः // सूत्रोक्तेन विधानेन / दीक्षितः सुरिणाप्यसौ // 7 // युग्मं // अनुशिष्टश्च गंभीर–वाक्यैः संवेगसुंदरैः // यथा जो जो महासत्व / यावज्जीवमपि त्वया // 5 // अष्टावीर्यासमित्याद्या / मा. तर श्व मातरः / / दणमपि न मोक्तव्याः / स्वस्य कल्याणमिलता // 70 // युग्मं // व्यायनि२४१ ग्रहाश्चित्रा / ग्राह्याश्चारित्रपुष्टये // प्राशुकमेषणीयं च / ग्राह्य धक्तादि सर्वदा // 1 // उपसर्गाश्च सोढव्या / दिव्याद्या नद्र षोडश // विषयाश्च सदाकालं / दाविंशतिपरीषहाः // 7 // तपसि हा. दशांशेऽपि / यतितव्यं यथावलं / / उद्यतव्यं च सर्वेषु / वैयावृत्त्यादिकर्मसु // ए३ // किंचेमां मा नुषत्वादि-सामग्री प्राप्य दुर्लनां // तथा यत्नस्त्वया कार्यो / दुःखोलेदो नवेद्यथा // 4 // 3 | त्याद्यनेकधाचार्य-श्चक्रे तस्यानुशासनं // इवाम्यहमनुशास्ति-मित्येवं सोऽप्यनाषत // ए५ // ततस्तेनाप्रमत्तेन / स्वगुरूणां पदांतिके // ग्रहणासेवनाशिदा / शिक्षिता शीघ्रमेव हि // 6 // चिरं तेपे तपश्चित्रं / पालितः संयमस्तथा // बालोचितः प्रतिक्रांतः / संलिख्य च निजां तनुं // // 7 // पर्यतेऽनशनं कृत्वा / मृत्वा वाढं समाधिना // अच्युते द्वादशे कल्पे / जातो देवो म हर्डिकः // 7 // छ प्रवर्धमानोरु-सत्कल्याणपरंपरां // प्राप्नुवन् दीपकर्माशो / सिहोऽसौ पं. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.