________________ धर्मः | कोचनबंधने // कूटमानेन जायते / तिर्यचस्तीबवेदनाः // 1 // शारीरमानसानेक-दुःखवातैः / रुपछुताः // परवाह्याः परायत्ताः / प्रायः सोदंति दुःखिताः // 4 // कशाघातैस्तथा तीढ़-रंकुशै. वधबंधनैः // शीतवातातपैर्दशै-मशकैश्चापि पीमिताः // 43 // सर्वलोकेन वाह्यते / बुदितपि. पासिताः // वाणकारी न कोऽप्येषां / प्रायशः प्रविलोक्यते // 44 // इदमाख्याति सर्वज्ञः / सर्व जीवदयापरः॥ सर्वदोषविनिर्मुक्तः / परमात्मा निरंजनः // 45 // प्रकृत्यैव प्रशांतात्मा / दानदाता दयापरः // शीलसंयमहीनोऽपि / मानुष्यं लभते नरः // 46 // अनित्यं मानुषं जन्म / जरामृत्युनयतं // दारिद्योपडुतं प्रायः / दणध्वंसि रुगाकुलं // 4 // अष्टोत्तरशतव्याधि-वातेन विधु. रीकृतं // सर्वदाऽप्रियसंयोग-प्रियायोगविसंस्थुलं // 40 // इदमाख्याति योगीशो / योगिगम्यो | जिनोत्तमः // त्रिकालवेदी भगवान् / देवदेवो जिनेश्वरः // 45 // सरागसंयमाद्देवा / देशसंयम. तोऽपि वा // अकामनिर्जरा देवा / बझानतपसोऽपि वा // 10 // ईर्ष्याविषादसंताप-मानमा यातिलोन्नताः // देवेष्वपि वसंत्येते / दोषास्तेषां कुतः सुखं // 51 // एवमाह जिनाधीशो / दे. वदेवो दयानिधिः / विष्टकर्मा नवातीतः / परं पदमुपागतः // 52 // चतुर्विधेऽपि संसारे / सौख्यं / Jun Gun Aaradhak Trust P.P.A. Gunratnasuri MS.