________________ 34 धर्म- निजे गेहे / कृतं कृत्यं यथोचितं // 7 // ततश्च कृतश्रृंगारः / सह साधर्मिकैर्जनैः // पूजोपकरणं लात्वा / जगाम जिनमंदिरे // // दृष्टानि जिनबिंबानि / पूजितानि विधानतः // वंदितानि स्तु. तिस्तोत्र-स्ततः स्वावासमागतः // // पित्रा च शुजचंद्रस्य / जोजितश्च सगौरवं / / सन्मानित श्च वस्त्रायैः / सानंदं सपरिबदः // 10 // . एवं च शुजचंजस्य / समग्रैरपि बंधुभिः // सन्मानितो यथाशक्त्या / फलदेवः कृतादरः / // 11 // ततश्च शुनचंजेण / बंधूनामग्रतो मुदा // मूलादारभ्य सर्वोऽपि / वृत्तांतः कथितो निजः | // 12 // ततस्तैर्नृपतेः सर्व / प्रोक्तं तेनापि सत्वरं // स बाहूतो वणिक्पुत्रो / दुरमारुष्टचेतसा / / // 13 // शुजचंद्रो जले तेन / दिप्तो द्रव्याभिलाषिणा // शुजचंद्राय तद्र्व्यं / तन्निगृह्य प्रदापितं // 14 // ततश्च फलदेवेन / सानंदं तत्र तिष्टता // वंदितानि समग्राणि / चैत्यानि विधिपूर्वकं / / // 15 // कारिताश्च महायाताः / सर्वेषु जिनवेश्मसु // सहस्त्रपात्रगक्ताद्यैः / साधवः प्रतिलानि ताः // 16 // पूजितश्च सुवस्त्राद्यैः / सर्वः साधर्मिको जनः // दीनानाथादिलोकेन्यो / दत्तं दानं | यथेबया // 17 // एवं च कुर्वता तेन / कृता तीर्थप्रभावना // तत्रत्यसर्वलोकस्य / रंजितं नितरां / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust