________________ धर्म तथा कार्य / यथैतज्जिनमंदिरं // 5 // विशेषतः सदाकालं / सपूजं जायतेतरां // तयापि तद्दका चस्तोषा-तथेति प्रत्यपद्यत // 6 // युग्मं // एवं च तत्र चैयानि / दीपे नंदीश्वरे तथा // वं. दित्वा पूजयित्वा च / प्रमोदातिशयं दधन् // 7 // आगत्य च निजान पोता-नारूढः सपरिबदः || // ततस्ते प्रेरिताः पोताः / प्रवृत्ता गंतुमंजसा // 7 // युग्मं / / लंघयित्वा नदीनाथं / स्तोककैरेव वासरैः / / संप्राप्तश्च निजे स्थाने / सोपाराजिधपत्तने // 7 // नंगरिताश्च ते शीबूं / तीरमानीय धीवरैः // वर्धापितो जनै राजा / पोतागमनिवेदनात् // 50 // तत्रैवासी समायातो.। रिपोरजनैः सह // परिवारयुतो वेगा-दतीवप्रमदाकुलः // 1 // / ततश्च फलदेवोऽपि / पोतादुत्तीर्य सत्वरं / प्रतिपत्तिं यथायोगं / राजादीनां चकार सः / / 1 / ततः समं नरेंण / पौर्बधुजनैस्तथा // गीयमानगुणग्रामो / बंदिवंदैर्मुहुर्मुहुः // ए॥ दीनाना | थादिलोकेभ्यो / ददद्दानं यथेप्सितं // वाद्यमानैर्वरैस्तू-नृत्यद्भिः स्त्रीजनोत्करैः // 3 // एव. मादिप्रमोदेन / निजमंदिरमागतः / सन्मान्य च यथायोगं / पौरलोको विसर्जितः // 4 // त्रि. | निर्विशेषकं // उत्तारितं च पोतेन्यो / नांमं शुक्नं च पातितं // विक्रीतं च यथामूल्यं / लब्धो ला; | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust