________________ धर्मः | तः प्राह / सोऽयं नोदते न हि // मन्ये जातिस्मरो जातो / गृहीतानशनस्तथा // 30 // तद्भो पंचनमस्कारो / दीयतेऽस्मै महाहये // तथैव दातुमारब्धो / नमस्कार स्फुटादारं / / 40 // सर्वज्ञ भाषितो धर्मः / प्रोक्तस्तस्य सविस्तरः // ततः शृण्वन्नमस्कारं / जीवित्वा दिनपंचकं // 41 // मृत्वा ১২ট समाधिना जातो / दिवि देवो महर्डिकः // नमस्कारप्रजावेण / धर्मध्यानपरायणः // 45 // युग्म | // ततः सुचित्तपुत्रेण / तकं स्वर्णनिधानकं // जखन्य पुंजितं सर्व / जनाध्यदं गृहांगणे // 13 // | फलदेवस्ततः प्रोक्त-स्ते नैवं हृष्टचेतसा / / गृह्यतां गृह्यतां स्वामि-स्तवैवैतत्सुवर्णकं // 44 // त. था जो नगिनी येयं / मामकी धनसुंदरी // श्रेष्टिन् परिणयस्वेमां / मत्तुष्टिं कुरु सर्वया // 45 // फलदेवस्ततः स्माह / स्थाने कुरु सुवर्णकं // तवैवेदं महाजाग / संवृणु वृणु सत्वरं // 46 // मा कारुिपरोधं नः / सर्वथा कुरु मे वचः // ततस्तत्संवृतं तेन / यथायोगं निजोचितं / / 4 // ल. | ब्धश्च फलदेवेन / साधुवादो जनेऽधिकः // श्लाघितोऽस्य गुणग्रामो / लोक रंजितमानसैः // 4 // श्रेष्टिना बंधुयुक्तेन / भण्यमानश्च सादरं // परिणिन्ये परासौ / कन्यां तां धनसुंदरीं // 4 // | कतिचिद्दिनानि तव / तया सार्धं प्रमोदतः // स्थित्वा संप्रस्थितो जयः / पुरं सिंहपुरंपति // 10 // | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust